महाकवि सुब्रह्मण्य भारती की कविताओं में राष्ट्रभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई थी: अमरदीप

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रुड़की (देशराज पाल)। आनन्द स्वरुप आर्य सरस्वती विद्या मन्दिर में हिन्दी के महाकवि सुब्रह्मण्य भारती की जयंती का कार्यक्रम आयोजन किया गया। शुभारम्भ अमरदीप सिंह प्रधानाचार्य, मोहन सिंह मटियानी उप-प्रधानाचार्य द्वारा माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। अमरदीप सिंह ने कहा कि सुब्रह्मण्य भारती एक तमिल कवि थे। इन्हे महाकवि भारतियार के नाम से जाना जाता है। इनकी कविताओं में राष्ट्रभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई थी। ये उत्तर भारत और दक्षिण भारत के मध्य एकता के सेतू के समान थे।
महाकवि सुब्रह्मण्य भारती की जयंती को भारतीय भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है।कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में भाषाओं की विविधता के मध्य स्थित एकात्मकता भारतीय भाषाओं का सौंदर्य है। भारतीय संस्कृति, कला, संगीत, और विचार पद्धति की वाहक भारत की भाषा ही है। देश के अगली पीढी में भाषायी सौंदर्य बोध, गौरव तथा विश्वास का जागरण ही भारतीय भाषा दिवस के आयोजन का मूल उद्देश्य है।कार्यक्रम के अन्तर्गत मेरी भातृभाषा में मेरे हस्ताक्षर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सभी अध्यापक-अध्यापिकाओं एवं छात्र-छात्राओं ने हिन्दी में हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर भाषण, आशुभाषण, गीत, कविता, कहानी आदि कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। विद्यालय के आचार्य तिलक राम चौहान ने कवि के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मेधावी छात्र होने के कारण इन्हे भारती की उपाधि दी गई। इनका जीवन राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत रहा। कार्यक्रम का संचालन आचार्य विवेक पांडेय और भैया देव कुमार ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर विद्यालय के उप प्रधानाचार्य मोहन सिंह मटियानी, जसवीर सिंह पुंडीर सहित समस्त शिक्षक-शिक्षिकाऐं उपस्थित रहे।