लिव इन रिलेशन भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं:मुन्ना सिंह चौहान

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रुड़की/लंढौरा (देशराज पाल)। चमनलाल महाविद्यालय में एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला, जिसका विषय उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता: नागरिक अधिकारों की समानता की ऐतिहासिक पहल था, का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि संविधानविद एवं विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति में लिव-इन रिलेशनशिप की कोई परंपरा नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे मान्यता दी है। इसी कारण उत्तराखंड में इसे UCC के अंतर्गत रेगुलेट किया गया है।
इस संगोष्ठी में विभिन्न विद्वानों और शिक्षकों ने उत्तराखंड में UCC के प्रावधानों पर गहन चर्चा की। मुख्य अतिथि मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि कानून का धर्म से कोई रिश्ता नहीं होता। इसका उद्देश्य समाज में अनुशासन स्थापित करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कानून का कार्य सजा देना नहीं, बल्कि अपराध को रोकना है। उन्होंने शिक्षा के महत्व पर भी जोर देते हुए कहा कि एजुकेशन का अर्थ केवल नौकरी पाना नहीं है, बल्कि यह समता, समानता, बंधुत्व, जागरूकता और विद्वता को भी बढ़ावा देता है। शिक्षण का उद्देश्य व्यक्ति को ओपन माइंडेड (उदार सोच वाला) बनाना होना चाहिए। विधायक चौहान ने कहा कि संविधान सभा की बहस (Debate) में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने की वकालत की थी, लेकिन तत्कालीन परिस्थितियाँ चुनौतीपूर्ण थीं। उन्होंने इसे संविधान की भावना के अनुरूप बताया और कहा कि संविधान एक लिविंग डॉक्यूमेंट है, जो समय के साथ परिवर्तन की गुंजाइश रखता है। उन्होंने कहा कि UCC किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है और यह सिर्फ विवाह, संपत्ति, गोद लेना और उत्तराधिकार को समान दृष्टि से लागू करता है। उन्होंने कहा कि अब न्याय व्यवस्था अधिक तेज़ और सुलभ हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून के बाद कोई भी बहन-बेटी को सड़क पर नहीं छोड़ सकता। अब गैरकानूनी रूप से तलाक नहीं हो सकेंगे और बेटियों को संपत्ति में अधिकार मिलेगा। उन्होंने स्वीकार किया कि UCC में कमियाँ हो सकती हैं, लेकिन आने वाले समय में इसमें आवश्यक सुधार किए जाएंगे। उन्होंने इसे न्याय और समानता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया। विशिष्ट अतिथि एस. पी. सिंह इंजीनियर ने कहा कि इस देश में सभी धर्म एवं जातियों के लोग रहते हैं, अतः कानून भी सभी के लिए समान होने चाहिए। किसी देश के बारे में जानना हो तो उसकी महिलाओं की स्थिति देखनी चाहिए। उत्तराखंड सरकार बधाई की पात्र है, जिसने सर्वप्रथम अपने यहाँ UCC लागू किया। आज विश्व में हम पाँचवीं अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं। मुख्य वक्ता प्रो. प्रकाश लखेड़ा ने कहा कि समान नागरिक संहिता कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। राष्ट्र के विकास की सूची में यह अपना 135वाँ स्थान रखता है। उन्होंने इस्लाम एवं कुरान का भी जिक्र किया। समय-समय पर, कालांतर में विकृतियाँ बढ़ती चली गईं। उत्तराखंड पहला राज्य है, जहाँ UCC लागू किया गया और स्त्रियों के अधिकारों को भी संरक्षित किया गया है। वेद ही विश्व के मूल ग्रंथ हैं, जिसमें सभी अधिकारों को लिपिबद्ध किया गया है। समारोह अध्यक्ष, प्रबंध समिति के अध्यक्ष रामकुमार शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा से बड़ा कुछ नहीं हो सकता। शिक्षा के द्वारा ही हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं और वास्तव में समान शिक्षा का अधिकार सभी को मिलना चाहिए। कार्यक्रम में प्रबंध समिति के सचिव अरुण हरित भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. विमल कांत तिवारी ने सभी अतिथियों का अभिनंदन और स्वागत किया। मंच का संचालन डॉ. निशु कुमार द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं शाल भेंट किए गए।
इसके अलावा कार्यक्रम में ऋषभ गुप्ता, अंकुश कौशिक, रॉबिन मित्तल भी उपस्थित रहे।