May 17, 2025

आदर्श शिवाजी नगर पर्वतीय लीला में ताडिका ने मचाया तांडव, भयभीत

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रुड़की (देशराज पाल)। आदर्श शिवाजी नगर रामलीला समिति के तत्वाधान में आयोजित की जा रही प्रभु श्रीराम की लीला के दूसरे दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व सैनिक सुरेंद्र सिंह पवार, धर्मानंद भट्ट, कुंवर सिंह रावत, गंगा सिंह ज्याला तथा विशिष्ट अतिथि समाजसेविका विमला बहुखंडी व सुनीता नेगी भाजपा ने संयुक्त रूप से फीता काटकर शुभारंभ किया। समिति ने सभी अतिथियों को माला पहनाकर सरोफा उड़ाकर भेंट कर सम्मानित किया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में राजा जनक मिथिला पुरी दूत से यह समाचार प्राप्त करते हैं कि देश काल में भयंकर सूखा पड़ा हुआ है बिना वर्षा के लोगों का जीना मुश्किल हो रखा है अगर राजा जनक खेत में स्वयं हल लगायें तो वर्षा हो सकती है ।
राजा जनक हल लगाने की तैयारी करते हैं और खेत में हल लगाते हैं हल का फल एक घड़े से टकराता है और मां सीता का जन्म होता है उधर विश्वामित्र तपस्या कर रहे होते हैं तो राक्षस उनकी तपस्या को बाधा पहुंचने का काम करते हैं और उन्हें परेशान करते हैं यह सोचकर मुनि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को लेने के लिए दशरथ राजा के पास आते हैं मुनियों ने बताया यहां भयंकर राक्षसों का तांडव है और उसी क्रम में वहां पर मारीच और सुबाहुभाव की माता तड़का आती है उसका तांडव देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं राम और लक्ष्मण ताड़का का वध करते हैं साथ ही सुबाहू को भी प्राण दंड दे देते हैं। मारीच युद्ध में अपनी जान बचाकर भाग जाता है।
इसके उपरांत मिथिलापुरी से मुनि विश्वामित्र को एक संदेश मिलता है जिनमें उन्हें मिथिलापुरी आने का निमंत्रण मिलता है। प्रभु राम और लक्ष्मण भी मुनि के साथ मिथिला पुरी जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। रास्ते में मुनि विश्वामित्र के कहने श्राप से शिला बनी अहिल्या का उद्धार प्रभु राम के चरणों के द्वारा होता है और द्वितीय दिवस की लीला का भी पटापेक्ष पास हो जाता है। उसी क्रम में वहां पर मारीच और सुबाहू की माता ताडिका वहां पर आती है और अपना तांडव मचाती है उसका तांडव देखकर देव ऋषि मुनि भी हैरान रह जाते हैं। अंत में राम ताडिका का वध कर देते हैं। प्रभु राम ताड़का का वध कर देते हैं, साथ ही बदला लेने आए सुबाहू का भी अंत कर देते हैं। मारीच युद्ध बीच में छोड़कर भाग जाता है और अपने गंतव्य को चला जाता है। इसके उपरांत मिथिलापुरी से मुनि विश्वामित्र को एक संदेश मिलता है जिसमें मैंने मिथिलापुरी आने का निमंत्रण मिलता है। प्रभु राम और लक्ष्मण भी मुनि के साथ मिथिलापुरी जाने के लिए आग्रह करते हैं और विश्वामित्र उन्हें अपने साथ ले जाते हैं। रास्ते में श्राप से पत्थर बनी अहिल्या को विश्वामित्र के कहने पर प्रभु राम अपने चरणों से उद्धार कर देते हैं। रामलीला में पात्रों के रूप में राम बादल लखेड़ा, लक्ष्मण शुभम लखेड़ा, जनक भगत सिंह रावत, मंत्री राजेंद्र सिंह रावत, अभिनव, सुनैना उषा रावत, विश्वामित्र सुरेंद्र सिंह सतीश कुकरेती, अंशु रावत, रितिक, दिव्यांशु, रविंद्र पवार, अनूप, भगत सिंह आदि ने अपने उत्कृष्ट अभिनय का परिचय दिया। इस अवसर पर सतीश नेगी, गौर सिंह भंडारी, पुष्कर सिंह तोमर, शिवचरण बिंजोला, सत्येंद्र सिंह नेगी, उमराव सिंह पटवाल, बच्चीराम कुण्डलिया, अनसूया प्रसाद जोशी, पांडेश्वर प्रसाद लखेड़ा, बालम सिंह नेगी, भगत सिंह रावत, दरवान सिंह बुटोला , रोहित रावत, सुरेंद्र सिंह नेगी, महावीर प्रसाद डोभाल, कुंदन सिंह नेगी, आनंद सिंह बरतवाल, राम चरण सिंह बिष्ट, लक्ष्मण सिंह बिष्ट, जय सिंह नेगी, श्याम सिंह पंवार, योगम्बर सिंह रौथाण, राजेंद्र सिंह रावत, विजय सिंह पंवार, जयवीर सिंह रावत, रणजीत सिंह रावत, दिनेश सिंह चौधरी, रविंद्र सिंह पंवार, धर्मानंद भट्ट, सतीश कुकरेती, राजेंद्र सिंह रावत, जितेंद्र ज़ख्मोला, बलवंत सिंह भंडारी, संतोषी राणा, गायत्री बुमला, विशम्बरी देवी, रामेश्वरी पवार, शाकुम्बरी चौहान ,उषा रावत, सरिता बिष्ट, जगमोहन सिंह रावत, सुरेंद्र सिंह पवार, सौरभ पवार, आयुश, हर्षिता बिष्ट, रिया बिष्ट, पायल, सुप्रिया मेहरा, रितु लखेड़ा आदि राम भक्ति उपस्थित रहे।

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