May 15, 2025

अहोई अष्टमी का पर्व कल, कहानी पढ़ें

0
hq720
Getting your Trinity Audio player ready...

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि अहोई अष्टमी इस साल 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। अहोई अष्टमी का व्रत माताएं कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि को रखती हैं और इस साल यह तिथि 24 अक्टूबर को सुबह 1:18 मिनट पर शुरू होगी और 25 अक्टूबर को सुबह 1:58 मिनट पर खत्म होगी। उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा।
5 शुभ संयोग
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल की अहोई अष्टमी पर 5 शुभ संयोग बन रहे हैं। अहोई अष्टमी पर साध्य योग, पुष्य नक्षत्र, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। इन 5 शुभ संयोगों के कारण अहोई अष्टमी का दिन और भी अधिक शुभ फलदायी और महत्वपूर्ण है।

1. साध्य योग: प्रात:काल से लेकर अगले दिन सुबह 05:23 बजे तक

2. गुरु पुष्य योग: पूरे दिन

3. सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन

4. अमृत सिद्धि योग: पूरे दिन

5. पुष्य नक्षत्र: पूर्ण रात्रि तक

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र को अतिशुभ माना जाता है। दीपावली से 7 दिन पहले 24 अक्तूबर को गुरुवार के दिन यह नक्षत्र रहेगा। जब भी गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है तो इसे गुरु पुष्य की संज्ञा दी जाती है। इस दिन सोना-चांदी और अचल संपत्ति खरीदने से बहुत लाभ मिलता है।
व्रत कथा
प्राचीन समय में एक साहुकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थी। साहुकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो ननद भी उनके साथ हो ली। साहुकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने साथ बेटों से साथ रहती थी। मिट्टी काटते हुए गलती से साहूकार की बेटी की खुरपी की चोट से स्याहू का एक बच्चा मर गया। स्याहू इस पर क्रोधित होकर बोली में तुम्हारी कोख बाधूंगी। स्याहू के वचन सुनकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभीयों से एक-एक कर विनती करती हैं कि वह उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें। सबसे छोटी भाभी ननद के बदले अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे होते हैं वे सात दिन बाद मर जाते हैं। सात पुों की इस प्रकार मृत्यु होने के बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका कारण पूछा। पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी।
सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और उसे स्याहु के पास ले जाती है। रास्ते थक जाने पर दोनों आराम करने लगते हैं, अचानक साहुकार की छोटी बहू की नजर एक ओर जाती हैं, वह देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है और वह सांप को मार देती है। इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और खून बिखरा हुआ देखकर उसे लगता है कि छोटी बहु ने उसके बच्चे को मार दिया है इस पर वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है।
छोटी बहू इस पर कहती है कि उसने तो उसके बच्चे की जान बचाई है। गरूड़ पंखनी इस पर खुश होती है और सुरही सहित उन्हें स्याहु के पास पहुंचा देती है। वहां स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहु होने का अशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहु का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा भरा हो जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *