हनुमान ने जलाई लंका, अंगद ने जमाया पैर, जय श्रीराम के नारो से गूंजा पंडाल

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रुड़की (देशराज पाल)। देवभूमि श्री राम धार्मिक एवं सांस्कृतिक ट्रस्ट रजिस्टर्ड के तत्वाधान में अशोकनगर में चल रही प्रभु श्री राम की लीला के संजीव मंचन के नवम दिवस पर ऑ० कैप्टन बालम सिंह उनकी अर्धांगिनी, देव सिंह सावंत पूर्व अध्यक्ष शिवाजी कॉलोनी, सुमन कीर्तन मंडली आदर्श शिवाजी नगर ने संयुक्त रूप से फीता काट कर शुभारंभ किया।
वीर बजरंगी हनुमान की आरती के पश्चात, लीला के प्रथम दृश्य में, रावण मेघनाथ को आज्ञा देता है कि वह हनुमान को नाग फांस पर बंदी बनाकर उसके पास लेकर आए। उसकी पश्चात रावण और हनुमान का जोरदार संवाद होता है। हनुमान के उकसाने पर रावण क्रोधित हो जाता है और उसकी हत्या करने का प्रयास करता है तभी विभीषण रावण से कहते हैं की दूत का वध करना, न्यायोचित नहीं है। बंदर को उसकी पूंछ प्यारी होती है।इसलिए उसकी पूंछ को आग के हवाले कर दिया जाए। राक्षस सेना, हनुमान की पूंछ पर आग लगाती है और हनुमान पूरी लंका को जलाकर राख कर देते हैं। विभीषण रावण को कहते हैं कि उन्हें सीता को प्रभु राम के पास वापस भेज देना चाहिए। इससे रावण आपे से बाहर हो जाता है और उसे राम का हिमायती बता कर लात मार महल से बाहर निकाल देता है। तब विभीषण प्रभु राम की शरण में चले जाते हैं। रामचंद्र जी युद्ध करने से पहले, एक बार पुनः श्रीलंका में दूत भेजने की बात करते हैं। और इस बार अंगद को दूत के लिए चुना जाता है। अंगद रावण को बहुत समझाते हैं। परंतु रावण की बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी है उसे अपने दल बल पर बड़ा घमंड है। तब अंगद अपनी शक्ति दिखाने के लिए कहता है कि मैं उसे सेना का एक छोटा सा सेवक हूं और मैं अपना पांव धरती पर जमाता हूं तुम्हारे पास जितने भी सूरमा है यहां आकर मेरा पांव उठा सकते हैं। अगर वह मेरा पांव उठा लेंगे तुम्हारी जय और हमारी पराजय। सभी राक्षस तथा मेघनाथ अंगद का पैर नहीं उठा पाए अंत में रावण स्वयं आता है और अंगद का पैर उठाने लगता है, तभी अंगद अपना पैर हटाकर कहता है मेरे पांव पढ़ने से अच्छा है कि तुम प्रभु राम के चरणों में जाकर माफी मांग लो और सीता माता को वापस भेज दो। रावण के क्रोधित होने पर अंगद युद्ध का ऐलान करके आते हैं और नवम दिवस की लीला का पटाक्षेप हो जाता है। इस अवसर पर सह संयोजक सतीश नेगी ,जगदीश नेगी,चंद्र मोहन कुलाश्री हेमंत बड़थ्वाल, विनोद जखवाल, विक्रम कुलश्री, दिगंबर सिंह नेगी, कुंवर सिंह चौधरी, बलबीर सिंह रावत, त्रिलोक सिंह रावत , राजेंद्र सिंह रावत, आनंद सिंह रावत, राजेंद्र सिंह रावत, मातबर सिंह नेगी, विनोद कक्तवान, सुभाष पंवार ज्वेलर्स, रजनी कुलाश्री, विक्रम कुलाश्री, प्रदीप बूडाकोटी, गोपाल दत्त मैदोला, सुदर्शन डोबरियाल, प्रेम सिंह राणा, अर्णव डोबरियाल, रिया, पार्वती रावत, रीतु, मनीषा, ऋति, अनूप, सौरव, आयुष, मातबर सिंह, रोहन, अर्जुन सिंह तडियाल और बृजमोहन डंगवाल ने आदि सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।