साधु भेष बनाकर जब सीता का हरण कर ले गया रावण…

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रुड़की (देशराज पाल)। अशोकनगर देवभूमि श्रीराम धार्मिक एवं सांस्कृतिक ट्रस्ट रजिस्टर्ड के तत्वाधान में चल रही लीला के सप्तम दिवस पर मुख्य अतिथि रहे आर एसएस प्रांत प्रमुख ऋतुराज, तथा अरविंद कश्यप अध्यक्ष व्यापार मंडल रुड़की, भाजपा जिला उपाध्यक्ष प्रदीप पाल साथ ही विशिष्ट अतिथियों में पार्षद रुड़की कैंट मनीष, समाजसेवी रमेश नेगी, पूर्व अध्यक्ष भाजपा रुड़की, अनिल कुमार, विजय सिंह पवार अध्यक्ष सैनिक संगठन, सोनी कश्यप, सुरेंद्र सिंह बिष्ट अध्यक्ष शिवाजी कॉलोनी, महावीर प्रसाद डोभाल पूर्व अध्यक्ष आदर्श शिवाजी नगर, विमला बौखंडी, पूर्वांचल समिति के अध्यक्ष आ० कै० शमेश्वर, न्यू भारत कॉलोनी कीर्तन मंडली, प्रकाश कांति घायल राज्य आंदोलनकारी, शिव सिंह रावत, रमाकांत बडोला, बसंती चमोली भाजपा, रामलीला कमेटी मंगलौर, कालूराम गर्ग, मनोज शर्मा, रामकुमार उपाध्याय, संतोष गर्ग, कीर्तन मंडली आदर्श शिवाजी नगर ने संयुक्त रूप से फीता काटकर शुभारंभ किया।
सुपर्णखा (रिया) की नाक कटने और खरदूषण के मारे जाने के बाद रावण के पास आकर राम लक्ष्मण द्वारा नाक काटने तथा खरदूषण का वध करने की सूचना देता है। जिससे रावण आग बबूला हो जाता है। सीता को हरने की युक्ति बनता है। वह अपने मामा मारीच के पास जाता है और उससे भेष बदलकर सोने का हिरण बनकर पंचवटी के आसपास घूमने को कहता है। सीता को स्वर्ण मृग बहुत भाता है और राम को उसे अपने पास लाने के लिए कहती है। मृग राम की आवाज में बचाओ लक्ष्मण भैया लक्ष्मण पुकारता है, लक्ष्मण सीता को लक्ष्मण रेखा के अंदर बांधकर राम की सहायता के लिए जाते हैं, तभी रावण षडयंत्र पूर्वक साधु भेष बनाकर सीता का हरण कर लेता है। रास्ते में जटायु उसे रोकने का प्रयास करता है लेकिन असफल रहता है और घायल हो जाता है सीता की खोज करते हुए राम लक्ष्मण जब जटायु को देखते हैं तो वह सारी व्यथा बताता है। अंत में चलते-चलते शबरी की कुटिया पर पहुंचते हैं। वहां राम शबरी के झूठे बेर खाते हैं और सामाजिक एकता का परिचय देते हुए सप्तम दिवस की लीला का पटाक्षेप हो जाता है।
इस अवसर पर संयोजक दिगंबर सिंह नेगी एवं सतीश नेगी, राजेंद्र सिंह रावत, संरक्षक, प्रेम सिंह राणा गोपाल दत्त मैंदोला, तीर्थ शर्मा, सुदर्शन डोबरियाल, त्रिलोक सिंह रावत, विनोद जखवाल, बलवीर सिंह रावत, चंद्र मोहन कलाश्री, मुकेश बिष्ट, रजनी कुलाश्री, आशा खन्तवाल मेकअप स्टूडियो, मुन्नी देवी, शोभा खंतवाल, सुनीता कुमाई, पवित्री देवी, गीता बिष्ट, मातवर सिंह नेगी, राजेंद्र प्रसाद खन्करियाल, सुरजीत सिंह नेगी, वीरेंद्र सिंह, बलवीर सिंह गुसाईं, कुंवर सिंह चौधरी, जसराम ढोंडियाल, आनंद सिंह रावत बृजमोहन डंगवाल आदि सैकड़ों लोग उपस्थित थे।