मंदिर की दहलीज पर नहीं रखना चाहिए पैर, जरूर जाने क्यों

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मंदिर की दहलीज और दरवाजा मुख्य ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। मंदिर दैवीय कंपन से आकर्षित वह जगह है, जहां स्वयं देवता निवास करते हैं। मंदिर में एक ऊर्जा क्षेत्र मंदिर की दहलीज तक फैला होता है।
हमारे देश में बहुत सारे मंदिर हैं, मंदिर का हर एक हिस्सा बेहद पवित्र माना जाता है। हालांकि मंदिर में प्रवेश करने के कुछ विशेष नियम होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मंदिर में प्रवेश करने के इन नियमों का पालन करने और भगवान की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मंदिर का एक अहम हिस्सा दहलीज होती है। दहलीज से अक्सर प्रवेश द्वार बनाया जाता है। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं में यह प्रतीकात्मक महत्व रखती है।
मंदिर की दहलीज भीतर और बाहरी दुनिया के बीच सामंजस्य बनाने का प्रतिनिधित्व करती हैं। मंदिर का दहलीज एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें अद्वितीय ऊर्जा होती है। इससे मंदिर के अंदर किसी भी सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। लेकिन मान्यता है कि मंदिर के अंदर प्रवेश करने के दौरान मंदिर की दहलीज पर पैर नहीं रखना चाहिए।
*दहलीज होती है ऊर्जा का मुख्य क्षेत्र*
ज्योतिषीय रूप से मानें, तो मंदिर की दहलीज और दरवाजा मुख्य ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। मंदिर दैवीय कंपन से आकर्षित वह जगह है, जहां स्वयं देवता निवास करते हैं। मंदिर में एक ऊर्जा क्षेत्र मंदिर की दहलीज तक फैला होता है। ऐसे में मंदिर के अंदर प्रवेश करने से हमारे मन में ऐसी ऊर्जा का संचार होता है, जो मन-मस्तिष्क के साथ शरीर को भी ऊर्जावान बनाता है। मंदिर एक ऐसी जगह है, जो दैवीय ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। हम आध्यात्मिक सांत्वना और आशीर्वाद के लिए मंदिर जाते हैं। मंदिर जाने से आध्यात्मिक अनुभव बढ़ता है। हालांकि मंदिर जाने से पहले शुद्धिकरण अनुष्ठान बेहद जरूरी होता है।इसी वजह से जो भी भक्त मंदिर जाते हैं, वह पैरों को धोकर ही मंदिर में प्रवेश करते हैं। दहलीज पर पैर रखने से बाहर की गंदगी मंदिर में जा सकती है। मंदिर जैसे पवित्र स्थान की शुद्धता खराब हो सकती है।मंदिर की दहलीज पर पैर रखना मंदिर के अंदर मौजूद दैवीय शक्तियों के अनादर के रूप में देखा जाता है। इस पवित्र जगह पर पैर न रखने से मंदिर की पवित्रता के प्रति श्रद्धा को प्रदर्शित करते हैं। मंदिर की दहलीज पर पैर रखना ईश्वर की अनादर करने जैसा होता है। इसलिए भक्ति और सम्मान बनाए रखने के लिए मंदिर में प्रवेश करने के दौरान दहलीज पर पैर रखने से बचना चाहिए।
बता दें कि मंदिर की दहलीज पर पैर रखने से बचना विनम्रता औऱ समर्पण का संकेत माना जाता है। मंदिर की पवित्रता इस बात का भी संकेत देती है कि मंदिर में प्रवेश करने के साथ ही आपने अपने मन के समस्त कुविचारों को बाहर छोड़ दिया है। आप साफ मन और शरीर के साथ मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं। यह काम आध्यात्मिक संचार और आशीर्वाद के लिए बेहद जरूरी माना जाता है।
*नकारात्मक शक्तियों को बाहर रखती है दहलीज*
मान्यता है कि मंदिर की दहलीज बुरी और नकारात्मक शक्तियों को मंदिर से बाहर रखने का काम करती है। मंदिर की दहलीज को पवित्र माना जाता है और यह पॉजिटिव ऊर्जा का भी केंद्र माना जाता है। इसलिए मंदिर की दहलीज पर पैर न रखने की सलाह दी जाती है। जब आप मंदिर में प्रवेश करते हैं, तो बिना दहलीज पर पैर रखे इसे पार करने पर स्थानीय संस्कृति का सम्मान दिखाते हैं। वहीं यहां पर बैठने की भी मनाही होती है। जिससे कि इस स्थान की पवित्रता बनी रहती है।